बुधवार, 20 अगस्त 2008

जोगी के शेर


जोगी के शेर -9
१- ये वो मोती हैं जो, ऊपर नहीं निकलते हैं
अपने ज़ख्मों को कुरेदो, तो शेर बनते हैं.

२- मुझको मालूम नहीं, तुमको पता हो शायद
किसी से प्यार का, इजहार कैसे करते हैं.

३- प्यार के नाम पे जो डरते हैं
अपनी सांसों पे ज़ुल्म करते हैं.

४- देख लेने से नशा होता है
उसकी ऑंखें शराब लगती हैं.

५- किसी को अपना बनने का, इरादा है मगर
कौन है जो मेरी सांसों की, खनक समझेगा.

६- बस यही सोचकर, इजहार नहीं करता मैं
उसने इंकार कर दिया अगर तो क्या होगा.

७- दिल की हालत बताया करता हूँ
आजकल शेर कौन कहता है.

८- आप मानें या न मानें ये दिल ने जाना है
हमारा आपसे रिश्ता बहुत पुराना है.

९- दिल के अहसास भला चिट्ठियों को क्या मालूम
हमारा प्यार तो बस धड़कनें समझती हैं.

१०- मैं तो जाने क्या क्या कह दूँ
पर वो पगली क्या समझेगी.

DR. SUNIL JOGI, DELHI, INDIA
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