बुधवार, 20 अगस्त 2008

जोगी के शेर-10

१- जिसने पल-पल सपने बुनकर, बड़ा किया है बच्चों को
उस माँ को माँ कहने का भी, वक्त नहीं है बच्चों पे.

२- कैसे गुलाम होगा फ़िर, ये मुल्क दोबारा
गाते हैं वन्दे मातरम फुटपाथ के बच्चे.

३- न जाने कौन सी साजिश, रची अंधेरों ने
आजकल के चराग, रौशनी से डरते हैं.

४- अपने ही भीतर है छुपा, खुशियों का खजाना
बाज़ार में इस चीज की, दूकान नहीं है.

५- न तो कोई रोजगार है, न पुरखों की थाती है
सिर्फ़ हौसले से ही चिडिया, दाना पानी पाती है.

६- मिट्टी, पानी, हवा, यहाँ की, हरदम बरकत लाएगी
बढती आबादी भारत की, बर्बादी करवाएगी.

७- खुशी आती है तो, चुपके से चली जाती है
दर्द आता है तो फ़िर चीखता चिल्लाता है.

८- होठों की हँसी देख के, करते हैं रस्क सब
दुनिया को दिल का दर्द, दिखाई नहीं देता.

९- अगर लहजे में सख्ती हो, तो अपने दूर होते हैं
हजारों आईनों को एक, पत्थर तोड़ देता है.

१०- बादशाहों को भले नींद न आती होगी
मगर मजदूर तो फुटपाथ पे सो जाते हैं.

DR. SUNIL JOGI, DELHI, INDIA
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