मंगलवार, 5 अगस्त 2008

१- लड़कर के मैं दुनिया से, बहुत टूट चुका हूँ
लेकिन कोई तो है, जो बिखरने नही देता.

२- वो शहर, वो गलियां, वो शामें, मुलाक़ातें
सब कुछ भुला चुका हूँ, मगर तुम नहीं भूले.

३- जब से हुज़ूर आप, हुकूमत में आ गए
तेवर बदल गए, हमें पहचानते नहीं.

४- हम कभी यूँ भी, उनसे इंतकाम लेते हैं
जलाने के लिए, हाथों में जाम लेते हैं.

५- अब पहले सा प्यार है, न वो अपनापन
जिन रिश्तों का बोझ, उठाये फिरते हैं.

६- उन्हें तो सिर्फ़ हुकूमत की, फिक्र रहती है
दोस्ती क्या है, सियासत के लोग क्या जाने.

७- सिर्फ़ ख़्वाबों से कुछ नहीं होता
हकीक़त पोल खोल खोल देती है.

८- न वो अदब है, न तहजीब, न खातिरदारी
जेब को देखकर बैरे सलाम करते हैं.

९- चैन से सोने का, आँखों ने ख़्वाब क्या देखा
बस उसी दिन से हमें, नींद ही नहीं आई.

१०- बस एक मैं ही अकेला, खड़ा हूँ महफ़िल में
सभी ने अपने अपने, हमसफ़र तलाश लिए.

DR. SUNIL JOGI DELHI, INDIA
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