गुरुवार, 7 अगस्त 2008

जोगी के शेर- 6

१- पहले मेरी जिंदगी थी, सूखे दरिया की तरह
प्यार जब से हो गया, मैं सागरों सा भर गया.

२- ये तो मालूम नहीं कितना, प्यार करता हूँ
मगर मैं उसपे बड़ा, ऐतबार करता हूँ.

३- आपसे मिल के हमने ये जाना
जिंदगी पटरियों पे रहती है.

४- जिंदगी तेरी हकीकत मैंने
उसकी आंखों में डूबकर जानी.

५- मेरी उसकी तो मोहब्बत का, ये फ़साना है
ज़मी की खाक आसमां से दिल लगा बैठा.

६- वो एक दिन आकर के, गले मिल तो गए थे
इतनी सी मोहब्बत से, गुजारा नहीं होता.

७- शहर में नफरतों की कोठियां हैं
मोहब्बत दर-ब-दर सी घूमती है.

८- ज़माने में ग़म की बहुत आंधियां हैं
चरागों को थोडी हवा दीजियेगा.

९- जो मेरे दर्द देख, आंसुओं को पोंछ दे
सारे जहाँ में ऐसा, दुप्पट्टा नहीं मिलता.

१०- यूँ तो ख्वाबों में रोज आता है
वो हकीकत में क्यूँ नहीं आता.

DR. SUNIL JOGI, DELHI, INDIA
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