शनिवार, 23 अगस्त 2008

जोगी के शेर-13

१- मुझे जो कामयाबी मिल रही है
जो अपने हैं उन्ही को खल रही है..

२- वही कदम, ही सफर, वही चलने वाले
सिर्फ़ मंजिल के रास्ते बदलते रहते हैं.

३- सबके दुःख दर्द में जो हँसता था
आईना देखकर बहुत रोया.

४- जो भी गम बाहर था मै, उस गम को अन्दर पी गया
प्यास इतनी थी की मैं, सारा समन्दर पी गया.

५- गम रुलाने को जो आते हैं मुस्कराता हूँ
मुश्किलें देख कर आसान हुआ जाता हूँ.

६- ऐसे मजलूम भी देखे हैं मेरी आंखों ने
भूखे बच्चों को चटाई पे सुला देते हैं.

७- जाने किस ख्वाब का डर है हमारी आँखों को
नींद की गोलियां खा के भी नहीं सोती हैं.

८- वादा किया था उसने कि आएंगे एक दिन
वो दिन नहीं आया है, ज़माना गुज़र गया.

९- कौन अच्छा है, नज़र बोल नहीं पाती है
ज़ुबां कहती है उसे देखना नहीं आता.

१०- लाल बत्ती से गरीबी को देखने वालो
रात को धूप का चश्मा नहीं पहना जाता.

डॉ सुनील जोगी, दिल्ली, भारत
मोबाइल नं. - O9811005255
जानें-
www.kavisuniljogi.com
www.hasyakavisammelan.com
लिखें- kavisuniljogi@gmail.com
पढ़ें- www.kavisuniljogi.blogspot.com
देखें- www.flickr.com- search- sunil jogi
सुनें-
www.youtube.com - search- sunil jogi

कोई टिप्पणी नहीं: