रविवार, 24 अगस्त 2008

जोगी के शेर-14

१- ये सोने वाले की मरजी, नींद रखे या ख्वाब रखे
महगाई में इन आँखों में, दोनों नहीं रह सकते हैं.

२- टेलिविज़न ने जवां कर दिए बच्चे सारे
अब बुजुर्गों के बड़प्पन का भरम टूट गया.

३- आज इन्सान ने कुछ ऐसी तरक्की की है
मुस्कराता है तो, होठों से लहू आता है.

४- वक्त पड़ता है तो फ़िर, जान भी दी जाती है
इस मोहब्बत के, मायने नहीं पूंछे जाते.

५- जिधर भी देखिये, ताक़त का बोलबाला है
कौन कमज़ोर आदमी का साथ देता है.

६- बचपन को जवानी का, तलबगार देखकर
मैं डर रहा हूँ, वक्त की रफ़्तार देखकर.

७- आदमी क्या करे, उसकी कोई खता ही नहीं
हादसे कब कहाँ हो जाएं, ये पता ही नहीं.

८- संसद में देखा जब से, नेताओं का ईमान बिक गया
ऐसा लगता है कि जैसे, सारा हिन्दुस्तान बिक गया.

९- मुश्किलों से हार कर के बैठने वालो
ठोकरें इन्सान को चलना सिखाती हैं.

१०- शहर में अब नहीं मिलते, कहीं असली चेहरे
सब अपने-अपने मुखौटे, लगाये फिरते हैं.


डॉ. सुनील जोगी, दिल्ली, भारत
मोबाइल नं. - O9811005255
जानें- www.kavisuniljogi.com
www.hasyakavisammelan.com
लिखें- kavisuniljogi@gmail.com
पढ़ें- www.kavisuniljogi.blogspot.com
देखें- www.flickr.com/search/?q=sunil+jogi
सुनें- www.youtube.com - search- sunil jogi

कोई टिप्पणी नहीं: