शुक्रवार, 5 सितंबर 2008

जोगी के शेर-16

जोगी के शेर-16

१- जो था क़दमों में उसे, सर झुकाना पड़ता है
बहुत हैरान है, बुत को तराशने वाला.

२- यूँ तो बहुत बेकारियां हैं, अपने देश में
पर पूंछिये तो कहते हैं, कि काम बहुत हैं.

३- शाख से टूटने के बाद, कहा फूलों ने
अब मेरे पास में, तितली नहीं आने वाली.

४- कागजी फूलों में, खुशबू तो डाल सकते हो
मगर हुज़ूर तितलियाँ, कहाँ से लाओगे.

५- फूल खिलता है तो, खुशबू छुपा नहीं सकता
मोहब्बत वाली निगाहों में चमक रहती है.

६- सब खूबियाँ होंगी तो, बन जाएगा फ़रिश्ता
इन्सान में कुछ कमियाँ, होनी भी ज़रूरी हैं.

७- खुशबू न हो फूलों में तो, रंगों का क्या करें
आंखों में ख़्वाब ना हों, तो किस काम कि आँखें.

८- इस सियासत में तो, रिश्ते बदलते रहते हैं
आज दुश्मन है तो कल, दोस्त भी बन सकता है.

९- मज़बूत कलेजा हो तो, अखबार निकालो
अब खून से लिक्खी हुई, ख़बरों का चलन है.

१०- नादान ना समझो वो, पुराना रईश है
पैमाना भरा भी हो तो, छलकाता नहीं है.

डॉ. सुनील जोगी, दिल्ली, भारत
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