शनिवार, 6 सितंबर 2008

जोगी के शेर-19

जोगी के शेर

१- यहाँ दहशत के, सब मौसम रखे हैं
जहाँ देखो वहीँ पर बम रखे हैं ।

२- सुकून-ओ-चैन-अमन, ख्वाब में होते होंगे
यहाँ तो हर तरफ़, दहशत दिखाई देती है ।

३- पूजा की थाल की जगह, मैयत पे पड़े हैं
सब फूल तितलियों के, गुनहगार हो गए ।

४- यां कौन है जो भूख, गरीबी को मिटाए
जादू की छड़ी चाहिए, हिंदोस्तान को ।

५- मज़हब बदल गया है, जज़्बात नहीं बदले
तारीख तो बदली है, हालात नहीं बदले ।

६- जिनकी आंखों पे, सियासत के लेंस होते हैं
कोई तस्वीर उन्हें, साफ़ नहीं दिखती है ।

७- हमारे क़त्ल में, मुंसिफ का हाथ शामिल है
हमारे हक में कभी, फैसला नहीं होगा ।

८- मैं अपने प्यार में, दोनों जहान दूँगा
ज़मीं तो क्या है, उसे आसमान दे दूँगा ।

९- न उन्हें राम से मतलब है, न अल्ला से गरज
जो लोग मन्दिर-ओ-मस्जिद, पे लड़ा करते हैं ।

१०- जो पाया है खून पसीने का पाया
अपने हाथ मुक़द्दर वाली रेख नहीं ।



डॉ. सुनील जोगी, दिल्ली, भारत
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