शुक्रवार, 5 सितंबर 2008

जोगी के शेर-17

जोगी के शेर

१- नफरतों से कोई तस्वीर, नहीं बनती है
मोहब्बत हो तो कई, ताजमहल बन जाएं ।

२- बादशाहों की दीवारों पे, सल्तनत होगी
हमें तो दिल पे हुकूमत का, हुनर आता है ।

३- अदालतें तो फ़क़त फैसला सुनाती हैं
वहां इंसाफ मिलेगा, ये ज़रूरी तो नहीं ।

४- जिसे जिरह सुन मुंसिफ ने, फांसी का हुकुम सुनाया हो
फांसी उसको न हो तो, तौहीन-ए-अदालत होती है ।

५- जनता कहती सरकारों में, सजे सिकंदर बैठे हैं
हर ऊँची कुर्सी पर, गाँधी जी के बंदर बैठे हैं ।

६- भीड़ तो मिलती है, इंसानियत नहीं मिलती
शहर के लोग तो बस, पत्थरों में रहते हैं ।

७- मेरी दुआ है आप, आसमान पर पहुंचें
मैं तो कतरा हूँ, नज़र में रहूँ, रहूँ न रहूँ ।

८- आप समंदर हैं करुणा के, थोड़ा प्यार मुझे भी देना
जब चाहूं तब दर्शन कर लूँ, ये अधिकार मुझे भी देना ।

९- मन्दिर समझ के आप के दर, आ तो गया हूँ
गर लौटना पड़ा तो, बहुत टूट जाऊंगा ।

१०- कर ली तो यार हमने, समंदर से दोस्ती
ता-उम्र मगर प्यास से, मरना पड़ा मुझे ।

डॉ. सुनील जोगी, दिल्ली, भारत
मोबाइल नं. - O9811005255
जानें-
www.kavisuniljogi.com
www.hasyakavisammelan.com
लिखें- kavisuniljogi@gmail.com
पढ़ें- www.kavisuniljogi.blogspot.com
देखें- www.flickr.com/search/?q=sunil+jogi
सुनें- www.youtube.com - search- sunil jogi

कोई टिप्पणी नहीं: